जब दो पायलटों की शर्त के चक्कर में मारे गए थे 70 लोग

 दुनिया में ऐसे बहुत कम केस होते हैं जब मात्र पायलट की गलती ही प्लेन क्रैश के लिए जिम्मेदार होती है। ऐसा ही एक केस हुआ 1986 में सोवियत रूस में, जब 70 निर्दोष लोग पायलटों की मूर्खतापूर्ण शर्त की बलि चढ़ गए थे।


20 अक्तूबर 1986 को एक हवाई जहाज 87 यात्रियों और 7 क्रू मेम्बर्स को लेकर Yekaterinburg से Kuybyshev के लिए आ रहा था। पूरी यात्रा बिना किसी बाधा के सम्पन्न हो चुकी थी, बस लैंडिंग होनी बाकी थी।

लैंडिंग के ठीक पहले जहाज के पायलट Alexander Kliuyev ने अपने को-पायलट से डींग हांक दी कि वह लैंडिंग कराने में इतना एक्सपर्ट है कि वह आँख बंद करके भी यानी बिना जमीन की ओर देखे भी, प्लेन को लैंड करा सकता है। को-पायलट को उसकी बात पर विश्वास नहीं हुआ। बस फिर क्या था ...लग गई शर्त !

कॉकपिट की सभी खिड्कियों पर पर्दे डाल दिये गए और पायलट जहाज को लैंड कराने लगा। नीचे स्थित एयर ट्रेफिक कंट्रोल ने जब जहाज को खतरनाक स्थिति में जमीन की ओर आते देखा तो उसने रेडियो पर पायलट को आगाह किया लेकिन पायलट कहाँ सुनने वाला था। उसने तो शर्त लगाई हुई थी।

फिर वही हुआ जिसकी आशंका थी। जहाज लगभग 280 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से जमीन से टकराया और क्रैश हो गया। इस दुर्घटना में जहाज में सवार कुल 94 लोगों में से 63 घटनास्थल पर ही मारे गए जबकि 7 की हॉस्पिटल में इलाज के दौरान मौत हो गई।

आश्चर्यजनक रूप से, शर्त लगाने वाला पायलट Alexander Kliuyev इस दुर्घटना में ज़िंदा बच गया जबकि को-पायलट हस्पताल जाते समय रास्ते में मर गया। विकिपीडिया पर दी गई जानकारी के अनुसार इस भीषण दुर्घटना के जिम्मेदार पायलट Alexander Kliuyev को मात्र 15 साल की सजा हुई और उसे भी बाद में घटाकर 6 साल कर दिया गया।




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