माफ़ी के ऊपर शायरी | Maafi Shayari in Hindi

Maafi Shayari, Mafi Shayari, Sorry Shayari, Poetry of apology in Hindi.

ज़िंदगी में जब हमसे कोई अपना रूठ जाये तो उसे मनाने के लिए तरह तरह के जतन करने पड़ते हैं। माफी मांगना, Sorry बोलना आदि करना पड़ता है। कभी कभी हम भी किसी से नाराज़ हो जाते हैं और हालात ऐसे होते हैं कि हमें उसे माफ करना पड़ता है। 

माफी मांगने, sorry बोलने या माफ करने आदि के लिए हिन्दू उर्दू में बहुत सारी कवितायें, शायरियाँ मौजूद हैं। किसी को माफ करते वक़्त या माफी मांगते वक़्त यदि इनका इस्तेमाल किया जाये तो उसका असर और भी जादुई होता है।

इस आर्टिकल में हम आपके लिए लाये हैं कुछ बेहतरीन और चुनिन्दा 'माफी शायरी' जिन्हें बड़े उस्ताद शायरों द्वारा लिखा गया है। तो देर किस बात की, चुन लीजिये जो आपको पसंद आए - 

खता माफ खताएँ तो हमसे होंगी ज़रूर 
कि ये तो फितरत-ए-आदम है क्या किया जाये 
(पुरनम इलाहाबादी)

हर एक जुर्म की पाता रहा सज़ा लेकिन 
हर एक जुर्म जमाने का मैंने माफ किया
(जीशान साहिल)

दे गया खूब सज़ा मुझ को कोई कर के मुआफ़
सर झुका ऐसे कि ता-उम्र उठाया न गया 
( सदा अंबालवी)

शब जो हम से हुआ मुआफ़ करो 
नहीं पी थी बहक गए होंगे 
(जौन एलिया)

तुम हो मुजरिम हम हैं मुल्ज़िम चलो नया इंसाफ करें 
तुम भी हमें मुआफी दे दो हम भी तुम्हें मुआफ़ करें 
(सरदार पंछी)

मुआफ़ी और इतनी सी खता पर 
सज़ा से काम चल जाता हमारा 
( शारिक़ कैफी )

मोहब्बतों की वफ़ा केश बारिशों से न रूठ 
किसी  से रूठ मगर अपने दोस्तों से न रूठ 
(  इरफ़ान सिद्दीकी )

ज़िंदगी भर के लिए रूठ के जाने वाले 
मैं अभी तक तेरी तस्वीर लिए बैठा हूँ 
(  क़ैसर उल जाफरी )

हाँ ये खता हुई थी कि हम उठ के चल दिये 
तुमने भी तो पलट के पुकारा नहीं हमें 
( नासिर जैदी )

तुम को चाहा तो खता क्या है बता दो मुझको 
दूसरा कोई तो अपना सा दिखा दो मुझको 
(दाग़ देहलवी)

कुछ नहीं इख़्तियार में फिर भी
हर ख़ता मेरी हर क़ुसूर मिरा
(मिर्ज़ा एहसान बेग)

वाइज़ ख़ता-मुआफ़ कि रिंदान-ए-मय-कदा
दिल के सिवा किसी का कहा मानते नहीं
(करम हैदराबादी)

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