18वीं सदी के नामचीन शायरों में से एक बड़ा नाम है मिर्ज़ा मुहम्मद रफी 'सौदा' का। उनका जन्म सन 1713 में दिल्ली में हुआ था। 'सौदा' ने जीवन का अधिकांश वक़्त दिल्ली में ही गुजारा हालांकि जीवन के आखिरी दिनों में वे अवध के नवाब के दरबार में आ गए थे। उनकी मृत्यु सन 1780 - 81 में लखनऊ में हुई मानी जाती है।
शेरो-शायरी की दुनिया में 'सौदा' एक बड़ा नाम है। प्रस्तुत हैं उनके कुछ बेहद प्रसिद्ध शेर -
Famous Sher-O-Shayari of Mirza Mohammad Rafi 'Sauda'
'सौदा' जो तिरा हाल है इतना तो नहीं वो
क्या जानिए तूने उसे किस आन में देखा
जब यार ने उठाकर ज़ुल्फों के बाल बांधे
तब मैंने अपने दिल में लाखों खयाल बांधे
न कर 'सौदा' तू शिकवा हमसे दिल की बेक़रारी का
मोहब्बत किसको देती है मियां आराम दुनिया में
जिस रोज़ किसी और पे बेदाद करोगे
ये याद रहे हमको बहुत याद करोगे
(बेदाद - अत्याचार)
साक़ी गई बहार, रही दिल में ये हवस
तू मिन्नतों से जाम दे और मैं कहूँ कि बस
ये तो नहीं कहता हूँ कि सचमुच करो इंसाफ
झूठी भी तसल्ली हो तो जीता ही रहूँ मैं
इश्क़ से तो नहीं हूँ मैं वाक़िफ़
दिल को शोला सा कुछ लिपटता है
आशिक़ की भी कटती हैं क्या खूब तरह रातें
दो चार घड़ी रोना दो चार घड़ी बातें
दिल ले के हमारा जो कोई तालिब-ए-जाँ है
हम भी ये समझते हैं कि जी है तो जहाँ है
अपने का है गुनाह बेगाने ने क्या किया
इस दिल को क्या कहूँ कि दिवाने ने क्या किया
0 Comments