Sharab Sher - Shayari Collection in Hindi
समाज में शराब को भले ही अच्छी चीजों में न गिना जाता हो लेकिन शेरोशायरी की दुनिया में शराब को अहम स्थान प्राप्त है। जिन विषयों पर सर्वाधिक शेर लिखे गए हैं, शराब उन्हीं में से एक है। आप भी अगर बैठे बैठे इस साहित्यिक खुमारी का आनंद लेना चाहते हैं तो पढ़िये ये चुनिन्दा शराब शायरी का संग्रह, जिसमें हम आपके लिए लाये हैं उस्ताद शायरों द्वारा शराब के ऊपर लिखे गए बेहतरीन शेर -
कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई
आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई
( निदा फ़ाजली)
आए थे हँसते - खेलते मैखाने में 'फिराक़'
जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए
(फिराक़ गोरखपुरी)
बे-पिए ही शराब से नफ़रत
ये ज़हालत नहीं तो फिर क्या है
( साहिर लुधियानवी)
शब जो हमसे हुआ मुआफ़ करो
नहीं पी थी बहक गए होंगे
( जौन एलिया )
अब तो उतनी भी मयस्सर नहीं मैखाने में
जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में
(दिवाकर राही )
शब को मय खूब सी पी सुब्ह को तौबा कर ली
रिंद के रिंद रहे हाथ से जन्नत न गई
(ज़लील मानिकपुरी )
ज़ाहिद शराब पीने से क़ाफ़िर हुआ मैं क्यूँ
क्या डेढ़ चुल्लू पानी में ईमान बह गया
( ज़ौक़ )
लुत्फ-ए-मय तुझ से क्या कहूँ ज़ाहिद
हाय कमबख़्त तूने पी ही नहीं
( दाग़ देहलवी)
ऐ 'ज़ौक़' देख दुख़्तर-ए-रज़ को न मुँह लगा
छुटती नहीं है मुँह से ये काफ़र लगी हुई
(ज़ौक़)
'ग़ालिब' छुटी शराब पर अब भी कभी कभी
पीता हूँ रोज़-ए-अब्र-ओ-शब-ए-माहताब में
(ग़ालिब)
किधर से बर्क़ चमकती है देखें ऐ वाइज़
मैं अपना जाम उठाता हूँ तू किताब उठा
( ज़िगर मुरादाबादी )
यारो मुझे मुआ'फ़ रखो मैं नशे में हूँ
अब दो तो जाम ख़ाली ही दो मैं नशे में हूँ
( मीर )
फ़ुर्सत ग़मों से पाना अगर है तो आओ 'नूर'
सब को करें सलाम चलो मय-कदे चलें
(कृष्ण बिहारी नूर)
उसके पियाले में ज़हर है कि शराब
कैसे मालूम हो बगैर पिये
(फातिमा हसन)
पूछिए मयकशों से लुत्फ-ए-शराब
ये मज़ा पाक-बाज़ क्या जानें
(दाग़ देहलवी)
गो हम शराब पीते हमेशा हैं दे के नक्द
लेकिन मज़ा कुछ और ही पाया उधार में
(सरदार गेंदा सिंह मशरिकी)
गरचे अहले शराब हैं हम लोग
ये न समझो खराब हैं हम लोग
(जिगर मुरादाबादी)
शिकन न दाल जबीं पर शराब देते हुये
ये मुसकुराती हुई चीज़ मुस्कुरा के पिला
(अब्दुल हमीद अदम)
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