एक वृद्ध रिटायर्ड सज्जन का घर मुंबई की एक संकरी सी गली में था. उनकी एक समस्या थी कि रोज शाम को उनकी गली के सारे लड़के उनके घर के सामने ही क्रिकेट खेला करते थे. खेलते समय वो बच्चे इतना शोर मचाते कि वृद्ध सज्जन का ब्लड प्रेशर बढ़ जाता. पर वो बच्चों को खेलने से मना करके उनका दिल भी नहीं दुखाना चाहते थे.वो कुछ ऐसा करना चाहते थे कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.
एक दिन जब बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे तब वो उनके पास पहुंचे और बोले – “बच्चो, मैं जब छोटा था तब मैं भी बहुत क्रिकेट खेला करता था. तुम लोग जब यहाँ खेलते हो तो मैं तुम्हारा खेल देखता हूँ और इससे मुझे बड़ी ख़ुशी मिलती है. मुझसे वादा करो कि तुम लोग रोज़ यहाँ ऐसे ही क्रिकेट खेलते रहोगे … इसके एवज में मैं तुम्हें सौ रुपये हर सप्ताह दिया करूँगा !”
अपना पसंदीदा काम करने के पैसे भी मिलेंगे ! यह सुनकर बच्चे खुश हो गए और वृद्ध सज्जन से रोज क्रिकेट खेलने का वादा किया.
इसके बाद बच्चों ने एक सप्ताह तक जम कर क्रिकेट खेली और आखिरी दिन अपने पैसे मांगने पहुँच गए. वृद्ध सज्जन ने मुस्कुराते हुए बच्चों को सौ रुपये दे दिए.
बच्चों ने अगले सप्ताह फिर जम कर क्रिकेट खेली और आखिरी दिन फिर पैसे मांगने पहुँच गए. इस बार वृद्ध बोले – “बच्चो, सौ रुपये कुछ ज्यादा हैं… अब से मैं हर हफ्ते 75 रुपये ही दिया करूंगा.” और उन्होंने 75 रुपये बच्चों को दे दिए.
अगले सप्ताह जब बच्चे फिर पैसे लेने पहुंचे तो सज्जन बोले – “इस बार मेरी पेंशन अभी तक नहीं आई है, ये तीस रुपये पड़े हैं, ये ले जाओ !”
बच्चों ने तीस रुपये ले तो लिए पर वो खुश नहीं हुए. मुँह लटकाए हुए लौट आये.
फिर एक सप्ताह बीता. बच्चे फिर अपने पैसे लेने पहुंचे तो सज्जन बोले – “आज तो मेरे पास 10 ही रुपये हैं … ये ले जाओ !”
ये तो हद थी. एक बड़ा बच्चा बोला – “आप चाहते हैं कि हम 10 रुपल्ली में आपके लिए 7 दिन तक खेलते रहें ? रखिये अपने 10 रुपये … हम इतने में नहीं खेल पायेगे… चलो दोस्तों !”
और उस दिन के बाद से वृद्ध सज्जन के घर के सामने बच्चों का क्रिकेट खेलना बंद हो गया.
(Image : Pixabay.com)
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