बूढ़े की सीख (दो शिक्षाप्रद लघुकथाएं)


लघुकथा - 1 (Short Story - 1)

एक गाँव के बाहर एक बूढ़ा आदमी नौजवानों को पेड़ पर चढ़ना उतरना सिखा रहा था. कई युवक पेड़ों पर चढ़ना उतरना सीख रहे थे.

एक युवक से बूढ़े ने कहा – “पेड़ पर चढ़ते उतरते समय बड़ी सावधानी की जरूरत होती है.”

युवक बोला – “इसमें कौनसी बड़ी बात है …”, ऐसा कहते हुए वह युवक वृक्ष की अंतिम चोटी पर पहुँच गया. बूढ़ा देखता रहा.

अब युवक बड़ी सावधानी से उतर रहा था.

जब युवक तीन चौथाई दूरी तक आ गया तो बूढा बोला – “बेटा, संभल कर उतरना, असावधानी व जल्दबाजी न करना…”

बूढ़े की बात सुनकर युवक को बड़ी हैरानी हुई.

वह सोचने लगा कि जब वह पेड़ की चोटी पर चढ़ रहा था तब तो बूढ़ा चुपचाप बैठा रहा, फिर वह उतरने लगा तब भी चुपचाप बैठा रहा, लेकिन अब ज़रा सी दूरी रह गई है तो मुझे सावधान कर रहा है.

जब उसने बूढ़े से यह बात कही तो तो बूढ़ा बोला – “मैं देख रहा था कि जब तुम नीचे उतर रहे थे तब तुम स्वयं ही सावधान थे. जब तुम बिलकुल नजदीक पहुंचे तब मैंने सावधान इसलिए किया क्योंकि लक्ष्य को सरल और समीप देखकर ही अक्सर लोग असावधानी बरतते हैं….”

इतना सुनकर युवक बूढ़े के आगे नतमस्तक हो गया.

लघुकथा - 2 (Short Story - 2)

एक पुरानी चीनी कहानी है.

एक नब्बे साल का बूढा अपने जवान बेटे के साथ अपने बगीचे में स्वयं जुत कर पानी खींच रहा था तभी कन्फ्यूशियस वहाँ से गुजरे.

उन्होंने देखा, नब्बे साल का बूढा, और उसका जवान बेटा, दोनों जुते हैं, पसीने से तरबतर हो रहे हैं, पानी खींच रहे हैं.

कन्फ्यूशियस को दया आई.

वो बूढ़े के पास जाकर बोले – “तुम्हें पता है कि अब तो शहरों में हमने घोड़ों से या बैलों से पानी खींचना शुरू कर दिया है ! तुम क्यों जुते हुए हो इसके भीतर ?”

बूढा बोला – “ज़रा धीरे बोलिए … मेरा बेटा सुन न ले ! आप थोड़ी देर से आइये जब मेरा बेटा घर भोजन करने के लिए चला जाए …”

जब बेटा चला गया तब कन्फ्यूशियस फिर वापस आये और बूढ़े से बोले – “तुमने बेटे को क्यों न सुनने दिया ?”

बूढा बोला – “मैं नब्बे साल का हूँ और अभी तीस साल के नौजवान से लड़ सकता हूँ. लेकिन अगर मैं अपने बेटे के बजाय इसमें घोड़े जुतवा दूँ तो नब्बे साल की उम्र में मेरे जैसा स्वास्थ्य फिर उसके पास नहीं होगा. स्वास्थ्य घोड़ों के पास होगा, मेरे बेटे के पास नहीं होगा. मैं जानता हूँ कि शहरों में घोड़े जुतने लगे हैं और यह भी जानता हूँ कि मशीनें भी बन गई हैं जो कुंए से पानी खींच लेती हैं. अगर मेरा बेटा इसके बारे में सुनेगा तो वो यही चाहेगा हम भी घोड़े और मशीन लगा लें लेकिन जब मशीनें पानी खीचेंगी तो बेटा क्या करेगा ? उसके स्वास्थ्य का क्या होगा ?”

कन्फ्यूशियस उस बूढ़े के सामने निरुत्तर हो गया और सिर झुका कर वहाँ से चला आया.




Post a Comment

0 Comments