किसी गाँव में एक किसान अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता था. एक दिन किसान सुबह सुबह कहीं जाने के लिए तैयार हो गया और अपनी पत्नी से बोला - "मैं दूसरे गाँव जा रहा हूँ. शाम तक लौट आऊंगा तब तक तुम घर और बच्चों का ख़याल रखना."
पत्नी ने पूछा - "दूसरे गाँव क्यों जा रहे हो ?"
किसान बोला - "मेरा एक मित्र अपनी भैंस बेच रहा है, उसे देखने जा रहा हूँ. अगर पसंद आई तो मैं ही खरीद लूंगा. बच्चों को पीने के लिए दूध मिलेगा."
भैंस खरीदने की बात सुनकर पत्नी खुश हो गई. बोली - "ये तो तुमने बहुत अच्छा सोचा. मैं भी कब से आपसे यही कहना चाहती थी. भैंस आ जायेगी तो घर में दूध दही की कमी न रहेगी. मैं उसके दूध की मलाई निकाल कर अपनी माँ के पास भेज दिया करूंगी. उनके घर पर भैंस नहीं है."
माँ का नाम सुनते ही किसान भड़क उठा. बोला - "मेरी भैंस की मलाई तेरी माँ क्यों खाएगी ? मैं खाऊँगा और मेरे बच्चे खायेंगे. उसे मलाई खानी है तो अपनी भैंस क्यों नहीं खरीद लेती ?"
पति के मुँह से अपनी माँ के लिए ऐसे शब्द सुनकर पत्नी भी भड़क उठी. तमतमा कर बोली - "इस घर की हर चीज़ पर मेरा भी उतना ही अधिकार है जितना तुम्हारा है. अगर मैं अपनी भैंस की मलाई अपनी माँ को खिलाना चाहती हूँ तो तुम्हें क्या आपत्ति है ?"
किसान - "आपत्ति है ......! मेरी भैंस की मलाई तेरे मायके वाले नहीं खा सकते समझी !"
पत्नी - "खायेंगे और जरूर खायेंगे ... देखती हूँ कौन रोकता है !"
किसान - "अगर तेरी माँ ने मेरी भैंस की मलाई खाई तो मैं उसकी गर्दन पकड़ कर सारी मलाई बाहर निकाल लूंगा."
पत्नी - "खबरदार जो मेरी माँ के बारे में ऊलजलूल बात की तो ... मुझसे बुरा कोई न होगा !"
और इसी तरह वाद-विवाद होते होते विवाद बढ़ गया. दोनों एक दूसरे पर जोर-जोर से चिल्लाने लगे. यहाँ तक कि उनकी आवाज़ घर से निकलकर पड़ोसियों के घर तक पहुँचने लगी.
बगल में एक समझदार किस्म के पडोसी का घर था. वह निकल कर इनके घर आया कि देखें आखिर माजरा क्या है ?
पडोसी ने आकर पहले तो दोनों पति-पत्नी से झगडे का कारण समझा. फिर पूरा मामला समझने के बाद उसने एक लाठी उठाई और किसान के घर में तोड़फोड़ मचानी शुरू कर दी. एक दो मटके फूट भी गए.
किसान हक्का बक्का ! पत्नी भी हैरान रह गई ... इस पडोसी को क्या हो गया ?
किसान उसे रोकने की कोशिश करता हुआ बोला - "अरे भाई, तुम्हे क्या हो गया ? मेरे घर का नुकसान क्यों कर रहे हो ?
पडोसी बोला - "तेरी भैंस ने मेरा बहुत नुकसान कर दिया ... सारा खेत चर गई !" और इतना कहकर फिर मटके फोड़ने लगा.
किसान बोला - "क्यों झूठ बोलते हो ? मेरे घर पर तो भैंस है ही नहीं फिर तुम्हारा खेत कैसे चर गई ?"
पडोसी बोला - "वैसे ही जैसे इसकी माँ तेरी भैंस की मलाई खा गई !"
पडोसी की बात सुनते ही किसान समझ गया कि पडोसी उसे क्या समझाना चाह रहा है. पत्नी भी ने भी लज्जित होकर गर्दन झुका ली.
पडोसी बोला - "पहले भैंस आ तो जाने दो. अभी भैंस आई न घर में दूध आया और तुम लोग पहले से ही मलाई के ऊपर लट्ठमलट्ठा मचाये हुए हो ?"
बात दोनों पति-पत्नी को समझ में आ गई और दोनों ने एक दूसरे से माफ़ी मांगी.
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