ट्रॉय के घोड़े की कहानी : क्या ऐसा कोई घोड़ा सचमुच था ?

ट्रॉय का घोड़ा या ट्रोजन हॉर्स की कहानी (Story of Trojan Horse) एक विश्वप्रसिद्ध कथा है जिसे बहुत से लोग यूनानी इतिहास से जुड़ी हुई मानते हैं. इस कहानी के ऊपर कई फ़िल्में बनी हैं, अनेकों पुस्तकें भी लिखी गई हैं. पुरातत्वविदों ने भी ट्रॉय के घोड़े (Trojan Horse) की कहानी की सत्यता जानने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास किये हैं हालांकि वे अभी तक किसी एक सर्वमान्य निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं. आइये जानते हैं कि ट्रॉय के घोड़े की कहानी या कथा दरअसल है क्या - 

ट्रॉय के घोड़े की कहानी (Troy Horse / Trojan Horse story in Hindi)

Image : Commons

प्राचीन ग्रीस में, जिसे तब यूनान कहा जाता था, हेलेना नाम की एक खूबसूरत राजकुमारी थी. कहा जाता है कि उस समय उसे विश्व की सबसे सुन्दर महिला माना जाता था. इतनी खूबसूरत महिला से हर कोई शादी करना चाहता था लेकिन हेलेना ने एक शक्तिशाली राजा मेलेनस से शादी की. 

हेलेना और मेलेनस अपने राज्य में आनंदपूर्वक रह रहे थे कि तभी एक बार ट्रॉय नामक एक सुदूर शहर से पेरिस नाम का राजकुमार मेलेनस के राज्य में घूमने आया. राजकुमार होने के नाते मेलेनस ने उसे अपने महल में ठहराया जहां उसकी मुलाकात हेलेना से भी हुई. 

होनी की बात, हेलेना और राजकुमार पेरिस एक दूसरे की ओर आकृष्ट हो गए और हेलेना राजकुमार के साथ महल छोड़कर ट्रॉय भाग गई. (हालांकि कुछ लोग ऐसा भी मानते हैं कि राजकुमार हेलेना का अपहरण कर के अपने साथ ट्रॉय ले गया.)

जैसा कि स्वाभाविक था, अपनी रानी के इस तरह किसी दूसरे राज्य के राजकुमार के साथ गायब हो जाने की बात मेलेनस को बहुत बुरी लगी. न सिर्फ मेलेनस को, बल्कि पूरे यूनान को यह बड़ा अपमानजनक लगा. गुस्से से उबल रहे तमाम यूनानी सरदार इकट्ठे हुए और उन्होंने ट्रॉय पर चढ़ाई करने का फैसला किया. 

उन्होंने एक हजार जहाज़ों का बेडा लेकर ट्रॉय की ओर कूच कर दिया. 

यूनानियों का दलबल जब ट्रॉय पहुंचा तो उन्होंने पाया कि ट्रॉय शहर की दीवारें बहुत मजबूत हैं जिन्हें तोड़ पाना असंभव है और बिना शहर में प्रवेश किये ट्रॉय की सेना को हरा पाना असंभव है. 

बहरहाल युद्ध शुरू हुआ लेकिन यूनानियों को सफलता नहीं मिली. परन्तु बदला लेने की भावना उनके भीतर इतनी तीव्र थी कि वे यूं ही खाली हाथ वापस जाना नहीं चाहते थे. इस तरह शहर के बाहर से लड़ते-लड़ते दस वर्ष बीत गए परन्तु ट्रॉय को वे परास्त नहीं कर पाए. 

तब यूनानी सरदारों ने फिर से मशवरा किया कि क्या किया जाए क्योंकि जिस तरह से वे लड़ रहे थे, आगे भी उस तरह से ट्रॉय को जीतने की संभावनाएं नहीं थीं. तब एक बहुत ही बहादुर और होशियार यूनानी सरदार ओडिसीयस ने एक युक्ति सुझाई जिस पर अमल करने को बाकी सरदार तैयार हो गए. 

लकड़ी के बड़े-बड़े तख्ते और लोहे की कीलें मंगवाई गईं और एक बहुत ही बड़ा विशालकाय मजबूत घोड़ा तैयार किया गया. लकड़ी का ये घोड़ा जिस दिन बनकर तैयार हुआ, उसी दिन यूनानी सेना वापस अपने जहाज़ों में बैठकर वापस अपने देश की ओर चल दी. घोड़ा वहीं ट्रॉय के बाहर मैदान में छोड़ दिया गया. 

किले की दीवारों से यूनानी सेना की निगरानी कर रहे ट्रॉय के सैनिकों ने जब यूनानी सेना को जहाज़ों में बैठकर वापस जाते देखा तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा. उन्होंने समझ लिया कि यूनानी सेना ने हार मान ली है और वापस जा रही है. 

जब यूनानी जहाज उनकी नजरों से ओझल हो गए तो उन्होंने नगर के दरवाजे खोल दिए और ख़ुशी से झूमते घोड़े के पास आ गए. लेकिन आखिर ये घोड़ा कैसा है और क्यों यहाँ पर छोड़ दिया गया है ? 

इस प्रश्न का उत्तर भी ट्रॉय के लोगों ने अपनी सूझबूझ से खोज लिया और मान लिया कि यूनानी लोग उन्हें ये घोड़ा जीत के इनाम के रूप में देकर गए हैं. 

जीत के प्रतीक, उस भारीभरकम विशालकाय घोड़े को ट्रॉय के निवासी बड़ी सावधानी से नगर के भीतर लेकर गए और एक जगह खड़ा कर दिया. इसके बाद जश्न शुरू हुआ जिसमें पूरा शहर शामिल हुआ. और होता भी क्यों न ? आखिर दस साल से चल रहा युद्ध उन्होंने जीत जो लिया था. 

देर रात तक जश्न चला और आखिर में सारे ट्रॉय निवासी थक कर चूर होकर अपने अपने घरों में जाकर सो गए. 

चारों ओर सन्नाटा पसरते ही शहर के बीच खड़े घोड़े के पेट में हलचल सी हुई और उसके पेट की ओर का तख्ता सरका कर कई सारे यूनानी योद्धा बाहर आ गए. इनमें से एक ओडिसीयस भी था. 

यूनानियों ने सबसे पहले जाकर ट्रॉय शहर के दरवाजे खोल दिए जिससे बाहर तैयार खडी यूनानी सेना भीतर दाखिल हो गई. दरअसल यूनानियों ने जहाज़ों में बैठकर वापस जाने का महज नाटक किया था और वे अँधेरा होते ही वापस आ गए थे. 

फिर क्या था, दस सालों से जो ट्रॉय जीता न जा सका था, वह कुछ ही घंटों में परास्त हो गया. ट्रॉय के सभी प्रमुख योद्धा मार दिए गए. हेलेना को महल से खोज निकाला गया और मेलेनस उसे अपने साथ ले आया. 

----------

ट्रॉय या Trojan Horse की यह कहानी तकरीबन 29 ईसा पूर्व में वर्जिल नामक कवि के महाकाव्य Aeneid में वर्णित है. बहुत से यूनानी लोग (वर्तमान ग्रीस) इसे ऐतिहासिक मानते हैं और अपनी सभ्यता की शौर्य गाथा के रूप में देखते हैं. 




Post a Comment

0 Comments