विलियम टेल - स्विटज़रलैंड के महान धनुर्धर योद्धा की कहानी | Story of William Tell in Hindi

 किवदंतियों के अनुसार चौदहवीं शताब्दी की शुरुआत में जब ऑस्ट्रिया के हैप्सबर्ग राजघराने के शासक स्विस जनता का शोषण कर रहे थे, तब विलियम टेल (William Tell) नामक एक निशानेबाज़ योद्धा उनके विरुद्ध उठ खड़ा हुआ था. हालांकि विलियम टेल की कहानी प्रामाणिक नहीं मानी जाती लेकिन अन्याय और शोषण के खिलाफ उठने वाले एक योद्धा की गाथा के रूप में ये कहानी दुनिया भर के बच्चों को पढ़ाई जाती है. 

गेसलर चौक के ऊपर लगा टाउन हाल का घंटा काफी जोर जोर से बज रहा था. उसकी आवाज़ पहाड़ों की चोटियों से टकराकर चारों ओर गूँज रही थी. घंटे की आवाज़ सुनकर लोग चारों ओर से दौड़े दौड़े चौक की ओर चले आ रहे थे क्योंकि घंटे के बजने का मतलब था कि राज्य शासन की ओर से कोई जरूरी एलान होने वाला है. 

"सुनो, सुनो, सुनो ... एक फरमान सुनो," हरकारा फरमान खोलते हुए बोला. 

"कसबे के सभी लोगों को सूचित किया जाता है कि आज दोपहर से गेसलर चौक के खम्भे पर माननीय गवर्नर साहब अल्ब्रेट गेसलर का टोप टांगा जा रहा है. दस साल से ऊपर के सभी लोग जब भी इस चौक से गुजरें, उस टोप को घुटनों पर झुक कर सलाम करें. ऐसा न करने पर तुरंत सख्त सजा दी जायेगी." 

चौक पर मौजूद भीड़ में विलियम टेल नामक एक नामचीन शिकारी और धनुर्धर निशानेबाज़ भी मौजूद था जो अपने बेटे जेम्मी टेल के साथ फरमान सुनने आया था. 

"बड़ा दुष्ट है यह गवर्नर गेस्सलर," विलियम टेल ने गुस्से से अपने बेटे जेम्मी से कहा. 

"अगर मेरा बस चलता तो उस खम्भे पर टोप की जगह उस गेस्सलर को ही टांग देती," एक औरत फुसफुसाई. 

"श्श्श ! चुपचाप घुटने टेक कर टोप को सलाम करो और भगवान् के लिए चुप रहो !" भीड़ में से किसी ने धीमी किन्तु चेतावनी भरी आवाज में कहा. 

ऑल्टडार्फ, बरगलेन या उरी इलाके के किसी भी कसबे में कोई भी राज्य शासन के खिलाफ जोर से नहीं बोलता था क्योंकि गवर्नर के जासूस हर तरफ फैले रहते थे. 

दोपहर होते ही गेसलर अपने अधिकारियों और सिपाहियों के साथ टाउनहाल चौक पर स्थित खम्भे पर अपना टंगवाने आ पहुंचा. टोप सावधानीपूर्वक खम्भे पर टांग दिया गया. लोग टोप को सलाम कर रहे हैं या नहीं, ये देखने के लिए खुद गेसलर वहीं चौक पर एक कुर्सी डालकर बैठ गया. 

पहला आदमी आया. उसने अपने घुटनों पर झुककर टोप को सलाम किया. गेसलर साहब बहुत खुश हुए. 

इसके बाद हर आने जाने वाला पहले टोप को घुटनों पर बैठकर सलाम करता फिर जल्दी से निकल जाता. इसी बीच एक सूअर भागता हुआ आया और उसके पीछे एक नौजवान जो उसे पकड़ना चाहता था. जल्दी में वह टोप को सलाम करना भूल गया और सूअर के पीछे भागा चला गया. 

"इसने क़ानून तोडा है. इसे इसे और इसके सूअर को फ़ौरन पकड़ो," गेसलर कुर्सी पर बैठे बैठे चीखा. 

नौजवान को फ़ौरन जंजीरों में जकड़कर ले आया गया. तभी एक किशोर बालक चौक से दौड़ता हुआ गुजरा और टोप को सलाम किये बिना निकल गया. उसे भी गेसलर के आदेश पर फ़ौरन पकड़ लिया गया. 

इसी तरह जो भी उस चौक से गुजरता, वह टोप को घुटनों पर बैठकर सलाम करता और यदि किसी कारणवश नहीं करता या करना भूल जाता तो उसे फ़ौरन पकड़ लिया जाता और गेसलर साहब की मर्जी के अनुसार उसे सजा दी जाती. 

सायंकाल के समय, विलियम टेल भी अपने बेटे के साथ जंगल से लौटते हुए उसी चौक से होकर गुजरा. जैसी कि उस जैसे स्वाभिमानी व्यक्ति से अपेक्षा थी, उसने और न उसके बेटे ने, टोप के सामने सर नहीं झुकाया और अपनी स्वाभाविक चाल से आगे बढ़ गए. गेसलर अब भी कुर्सी पर बैठा हुआ आने जाने वालों को देख रहा था. 

जैसे ही उसने विलियम टेल और उसके बेटे को टोप के आगे बिना सर झुकाए जाते हुए देखा, उसके तनबदन में आग लग गई. उसने फ़ौरन सिपाहियों को उन दोनों को पकड़कर लाने का आदेश दिया. 

"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे टोप के आगे बिना सर झुकाए जाने की ? अभी घुटने टेको और टोप को सलाम करो...," गेसलर चीखा. 

"मैं और मेरा बेटा किसी तानाशाह के टोप के आगे ना तो घुटने टेकेंगे और न ही सर झुकायेंगे," विलियम टेल ने दो टूक जवाब दिया. 

यह सुनते ही गेसलर कुर्सी से खड़ा होकर गुस्से से कांपने लगा. "गिरफ्तार करो इन दोनों को और जेल में डाल दो, इन्हें मैं ऐसी सजा दूंगा कि दुनिया याद रखेगी." 

सिपाहियों ने फ़ौरन विलियम टेल और उसके बेटे को पकड़ लिया और ले जाने लगे. तभी गेसलर बोला -"तुम तो यहाँ के प्रसिद्ध निशानेबाज़ हो न ? ठहरो, तुम्हारे लिए मेरे पास सजा देने का एक बेहतर तरीका है."

और फिर गेसलर भीड़ को संबोधित करते हुए कहने लगा - "ये कहता है कि मैं तानाशाह हूँ, लेकिन नहीं, कानून क़ानून होता है और इसने उसे तोडा है. अब मैं तुम्हें दिखाऊँगा कि मैं कितना निष्पक्ष और न्यायप्रिय हूँ. "

फिर वह विलियम टेल की ओर मुड़ा और बोला - "तुमने क़ानून तोडा है इसलिए मैं तुम्हें सजा तो दूंगा. लेकिन तुम्हें आजाद होने का एक मौका भी मिलेगा. मैं तुम्हारे बेटे के सर पर एक सेब रखूँगा. तुम्हें साठ कदम की दूरी से उस सेब पर निशाना लगाना होगा. अगर निशाना सही लग गया तो न सिर्फ मैं तुम्हें आज़ाद कर दूंगा बल्कि ये टोप भी इस चौक से हटा लूँगा फिर किसी को भी घुटने नहीं टेकने पड़ेंगे."

"और अगर तुम्हारा निशाना चूका तो तुम्हारा बेटा या तो तुम्हारे हाथों मारा जाएगा या अगर बच गया तो मैं उसे आज़ाद कर दूंगा. लेकिन निशाना चूकने की स्थिति में तुम्हें हमेशा के लिए जेल में सड़ना होगा."

"और आखिर में सबसे ख़ास बात ये है कि - तुम सिर्फ एक ही तीर चला सकते हो !"

गेसलर ने जब यह सब कहा तो भीड़ में सन्नाटा पसर गया. सब सोच रहे थे कि न जाने अब क्या होगा. दरअसल लोग विलियम टेल को जानते थे कि वह झुकने वाला नहीं है और गेसलर को भी जानते थे कि वह छोड़ने वाला नहीं है. 

विलियम टेल ने अपने बेटे जेम्मी की ओर देखा. अगर उसका निशाना चूक गया तो ?

उसने मन में तय कर लिया कि वह निशाना सेब पर लगाएगा ही नहीं बल्कि दूर लगाएगा ताकि बेटा सुरक्षित बच सके. रही उसकी बात तो वह खुद जेल चला जाएगा. 

पास ही खड़ा जेम्मी अपने पिता के मनोभावों को ताड़ गया. वह बोला - "आपको निशाना लगाना ही होगा पिताजी. अपने लिए या मेरे लिये नहीं, बल्कि इस कसबे के लोगों के लिए. आज यदि आप कमजोर पड़ गए तो यहाँ के लोगों को हमेशा इस टोप के आगे झुकना पड़ेगा. आपको मेरे सर पर रखे सेब पर ही निशाना लगाना है. आप ऐसा कर सकते हैं क्योंकि आप सबसे बेहतरीन निशानेबाज़ हैं. "

विलियम टेल ने पल भर को सोचा फिर बोला - "ठीक है जेम्मी. तुम कहते हो तो मैं यह जरूर करूंगा."

गवर्नर गेसलर के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान छा गई. 

सिपाहियों ने जेम्मी को एक चौड़े से पेड़ के सामने खडा कर दिया और उसके सर पर एक लाल सेब रख दिया. 

विलियम टेल ने अपने सारे तीर निकालकर वहीं रख दिए और एक तीर कमान पर ले लिया तथा एक सबकी नज़र बचाकर लबादे में छुपा लिया. 

अब वह जाकर जेम्मी से साठ कदम की दूरी पर खड़ा हो गया. 

भीड़ की साँसें रुक गईं. गेसलर आँखें सिकोड़कर विलियम टेल की ओर देखने लगा. 

विलियम टेल ने थोडा समय लिया. उसने तीर कमान पर चढ़ाकर जेम्मी के सर की ओर घुमाते हुए उसके चेहरे की ओर देखा. फिर उसने कमान को ऊपर उठाते हुए जेम्मी के सर पर रखे लाल सेब को देखा .... निशाना साधा ... और तीर छोड़ दिया. 

तीर सेब के ठीक बीचोंबीच जाकर लगा. सेब के दो टुकड़े हो गए. 

जेम्मी मुस्कुराता हुआ अपने पिता की तरफ बढ़ा. गेसलर साहब कुर्सी पर बैठे हुए पसीने पसीने हो गए. 

भीड़ विलियम टेल की जयजयकार कर उठी. विलियम टेल जैसे ही भीड़ का अभिवादन करने के लिए झुका, तभी उसके लबादे में छुपा दूसरा तीर निकलकर नीचे गिर पड़ा. 

दूसरा तीर देखते ही गेसलर उछलकर कुर्सी से खड़ा हो गया और चिल्लाया, "तुम्हें सिर्फ एक तीर की अनुमति दी थी. ये दूसरा तीर तुमने क्यों लिया ?"

"ये दूसरा तीर आपके लिए था, गेसलर साहब," विलियम टेल ने कहा," अगर पहला तीर मेरे बेटे को लग जाता तो इस दूसरे तीर से मैं आपका कलेजा चीर देता."

"गिरफ्तार कर लो इसे," गेसलर चीखा और विलियम टेल को फ़ौरन जंजीरों में जकड लिया गया और वहाँ से ले जाया गया.

इस घटना के करीब एक हफ्ते बाद, ऑल्टडोर्फ़ और उस इलाके के अन्य कस्बों के लोगों ने खबर सुनी कि तानाशाह गवर्नर गेसलर, विलियम टेल के हाथों मारा गया. 

दरअसल सिपाही विलियम टेल को एक नाव में बैठाकर झील के उस पार स्थित जेल में कैद करने ले जा रहे थे. लेकिन नाव बीच में डगमगा गई और विलियम टेल सिपाहियों के चंगुल से छूटकर जंगल में भाग गया. 

यह सुनकर गेसलर खुद सिपाहियों की एक टोली लेकर विलियम टेल को खोजने निकला. जंगल में विलियम टेल पहले से ही गेसलर के लिए घात लगाए बैठा था. जैसे ही आमना सामना हुआ, विलियम टेल ने निशाना लगा कर उसे मार गिराया. 

एक क्रूर तानाशाह का अंत हुआ और जन्म हुआ विलियम टेल की सदियों तक सुनाई जाने वाली अमर गाथा का. 




Post a Comment

0 Comments