कभी ख़त्म न होने वाली कहानी - लोक कथा | The Endless story - A folk tale in Hindi

पुराने जमाने में एक राजा था. राजा ऐसा भाग्यवान कि उसके राज्य में कोई दीन-दुखी न था, सब खुशहाल थे. कोई अपराध नहीं, चोरी डकैती नहीं, सब तरफ बस अमन चैन. राज्य की सीमाओं से बाहर जो दूसरे राज्य थे उनसे भी उसके मित्रतापूर्ण सम्बन्ध थे, किसी से कोई शत्रुता नहीं थी. यानी, न राज्य के भीतर से और न बाहर से, उसे किसी तरह का कोई खुटका न था. 

अब ये सब पढ़-सुनकर आपको लग रहा होगा कि यह राजा तो बहुत ही प्रसन्न और मौज में रहता होगा, तो ऐसा बिलकुल न था. राजा अक्सर उदास रहता था क्योंकि उसके जीवन में अमन चैन की मात्रा इतनी ज्यादा थी कि उसके पास करने के लिए कोई काम ही न होता था. दरबार में खाली बैठे-बैठे समय काटना उसके लिए सबसे बड़ी मुसीबत थी.

उसके दरबारीगण अक्सर उसे किस्से कहानियां सुनाया करते जिन्हें सुन-सुनकर वह अपना समय काटा करता. फिर ये हुआ कि धीरे -धीरे उसे कहानियां सुनने का चस्का लग गया. जैसे ही एक कहानी ख़त्म होती, वह दूसरे दरबारी से कहानी सुनाने का आग्रह करता. दूसरा ख़त्म करता तो तीसरे का मुँह ताकने लगता. किन्तु दरबारी आखिर कितनी कहानियां सुना सकते थे, सो आखिर एक दिन उनकी कहानियां ख़त्म हो गईं. 

अब तो राजा बड़ा परेशान, उसका समय काटे न कटे. अब भी दरबारी उसके लिए छोटी-मोटी कहानियां बनाकर लाते और सुनाते, किन्तु उनसे उसका जी न भरता था बल्कि उसकी कहानी सुनने की प्यास और बढ़ जाती थी. 

वह चाहता था कि कोई उसे ऐसी कहानी सुनाये, इतनी लम्बी कहानी सुनाये, कि जिससे उसका जी भर जाए. आखिर जब उसे अपने दरबार में कोई ऐसा कहानी सुनाने वाला न मिला तब एक दिन उसने राज्य भर में मुनादी करवा दी कि जो भी उसे खूब लम्बी कहानी सुनाएगा, जिसे सुनकर उसकी कहानी सुनने की प्यास बुझ जाए, तो उसके साथ वह अपनी बेटी अर्थात राजकुमारी का विवाह कर देगा और अपना उत्तराधिकारी बना देगा. 

किन्तु उसने इस घोषणा के साथ एक शर्त भी लगा दी कि यदि कहानी पर्याप्त लम्बी न हुई, अर्थात जिसे सुनकर राजा का जी न भरा, तो उस आदमी को ज़िन्दगी भर के लिए जेल में चक्की पीसने के लिए डाल दिया जाएगा. 

राजा की बेटी बहुत सुन्दर थी. कहानी सुनाने के पुरस्कार के रूप में उससे विवाह की बात सुनकर कई लोगों के मन में लालच पैदा हुआ, किन्तु असफल होने पर जेल जाने की शर्त सुनकर मन मसोस कर रह गए. दरअसल राजा कहानी सुनने का कितना बड़ा शौक़ीन है, ये बात राज्य भर में सभी लोग जानते थे. उसका जी भरना कोई आसान काम न था. 

बड़ी हिम्मत करके एक आदमी सामने आया. उसने राजा को कहानी सुनाना शुरू किया. उसकी कहानी तीन महीने तक चलती रही. राजा बड़े चाव से सुनता रहा. लेकिन आखिरकार एक दिन उसकी कल्पनाशक्ति ने जवाब दे दिया और वह कहानी को आगे बढाने में असमर्थ हो गया. शर्त के मुताबिक़ राजा ने उसे जेल में डलवा दिया. 

राजा फिर उदास रहने लगा. कहानी सुने बिना उसका मन न लगता था. किन्तु जेल जाने के डर के कारण कोई अब उसे कहानी सुनाने को आगे न आता था. 

उसी राज्य में एक बुद्धिमान और साहसी युवक रहता था. वह मन ही मन राजा की बेटी से प्रेम करता था और उससे विवाह करना चाहता था. उसके कानों तक जब राजा की घोषणा पहुंची, तो वह अपनी किस्मत आजमाने दरबार में पहुँच गया. 

उसने राजा से कहा - "महाराज, क्या ये सच है कि सबसे लम्बी कहानी सुनाने वाले से आप राजकुमारी का विवाह कर देंगे ?"

राजा - "बिलकुल सच है. किन्तु असफल रहने पर तुम्हें ज़िन्दगी भर के लिए जेल में चक्की पीसनी पड़ेगी, ये भी सच है."

युवक - "मुझे शर्त मंजूर है महाराज. मैं आपको अपनी कहानी सुनाना चाहता हूँ जो एक बार एक प्रदेश पर हुए टिड्डी दल के आक्रमण से सम्बंधित है."

राजा तो कहानी सुनने का तलबगार था ही. तुरंत तैयार होकर कहानी सुनने बैठ गया.

युवक ने अपनी कहानी कुछ यूँ शुरू की - "एक बार एक राज्य था जिस पर हर साल टिड्डी दल का हमला होता था. इससे तंग आकर राजा ने नगर के बाहर एक विशाल गोदाम बनवाया और राज्य भर का सारा अनाज बड़े - बड़े ड्रमों में भरवा कर उसके भीतर बंद करवा दिया. 

जब टिड्डी दल आया तो उसे राज्य भर में अनाज का एक दाना भी नहीं मिला. किन्तु टिड्डी दल आगे नहीं बढ़ा बल्कि वहीं मंडराता रहा और आखिरकार उन्होंने पता लगा लिया कि सारा अनाज इस गोदाम में बंद है किन्तु उसमें प्रवेश का कोई रास्ता नहीं है. 

अनाज का पता चल जाने के बाद टिड्डियों ने गोदाम में प्रवेश के रास्ते की खोज शुरू की और अंततः एक ऐसा सूराख खोजने में सफल रहे जिसमें से होकर एक बार में केवल एक ही टिड्डी भीतर जा सकती थी और अनाज का दाना लेकर वापस आ सकती थी. 

फिर क्या था, उस सूराख से होकर पहली टिड्डी भीतर गई और अनाज का दाना लेकर बाहर निकल आई .... 

फिर दूसरी टिड्डी भीतर गई और अनाज का दाना लेकर बाहर निकल आई .... 

फिर और दूसरी टिड्डी भीतर गई और अनाज का दाना लेकर बाहर निकल आई .... 

फिर और दूसरी टिड्डी भीतर गई और अनाज का दाना लेकर बाहर निकल आई .... 

फिर और दूसरी टिड्डी ...... "

एक दिन बीता, दो दिन बीते, धीरे-धीरे हफ्ता बीत गया. युवक कहानी के नाम पर बस एक ही लाइन कहता जा रहा था - "फिर दूसरी टिड्डी भीतर गई और अनाज का दाना लेकर बाहर निकल आई ...."

इसी तरह महीना बीत गया, छः महीने बीत गए, साल बीत गया, दो साल बीत गए पर युवक वही लाइन दोहराता रहा. 

राजा बार बार एक ही लाइन सुन सुन कर बुरी तरह उकता गया और एक दिन बोला - "नौजवान, आखिर कब तक इस तरह टिड्डियाँ गोदाम के भीतर से अनाज का दाना लेकर निकलती रहेंगी ?"

युवक बोला - "जब तक सारा अनाज ख़त्म नहीं हो जाता महाराज ! क्योंकि टिड्डी दल जहां भी हमला करता है वहाँ सफाचट करके ही आगे बढ़ता है. 

अभी तो गोदाम के सैकड़ों कमरों में भरे हजारों ड्रमों में से पचास ड्रम भी खाली नहीं हुए महाराज !"

राजा हाथ जोड़कर बोला - "भाई, तू जीता मैं हारा. मैं अपनी बेटी का विवाह तेरे साथ कर दूंगा और तुझे अपना उत्तराधिकारी भी बना दूंगा किन्तु अब ये कहानी और आगे नहीं सुन सकता. मैं अब कोई भी और कहानी नहीं सुनना चाहता."

बस, फिर क्या था, बुद्धिमान युवक का राजकुमारी से विवाह हो गया और वह राज्य का उत्तराधिकारी बना दिया गया. साथ ही राजा साहब का कहानी सुनने का चस्का भी जाता रहा.




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