अपराधी - एक ऐतिहासिक लघुकथा | Aparadhi - A short story from History

बात उन दिनों की है जब जर्मनी में राजा विलियम का शासन था। राजा सद्गुणों का पारखी था और उसे सत्य बोलने वाले लोग बहुत पसंद थे। एक बार राजा विलियम अपने राज्य के पूर्वी भाग में स्थित पौट्सडम नगर की जेल का निरीक्षण करने गया। निरीक्षण के दौरान वह जेल की एक बैरक में मौजूद कैदियों से भी मिला। वहाँ मौजूद एक कैदी से राजा ने पूछा - "तुम यहाँ किस अपराध में बंद हो ?"

कैदी मासूम सी सूरत बनाकर बोला, "महाराज, किसी ने मेरे मकानमालिक के घर में चोरी की। उसी समय घरवाले जाग गए तो भागते हुये चोर ने चोरी का सामान मेरे अहाते में फेंक दिया। मुझ निर्दोष को पकड़ लिया गया और सजा दे दी गई।"

राजा दूसरे कैदी के पास गया और उससे भी वही प्रश्न पूछा। दूसरा कैदी बोला, "महाराज, मैं एक सरकारी कर्मचारी था। मेरा अधिकारी मुझसे ईर्ष्या करता था। एक दिन उसने मेरे ऊपर रिश्वत लेने का झूठा इल्जाम लगाकर मुझे जेल में डलवा दिया।"

राजा वही प्रश्न लेकर तीसरे कैदी के पास पहुंचा। तीसरा कैदी कहने लगा, "महाराज, मेरे ऊपर मेरे गाँव वालों ने ठगी का झूठा आरोप लगाया। मैं निर्दोष था फिर भी न्यायाधीश ने मुझे जेल भेज दिया। 

इस तरह राजा ने एक एक करके बैरक के सभी कैदियों से उनके जेल में होने की वजह पूछी और सभी ने यही कहा कि वे निर्दोष हैं और अनुचित ढंग से सजा देकर जेल में डाले गए हैं। 

एक कैदी बैरक के एक कोने में गुमसुम सा बैठा हुआ था। राजा उसके पास भी गया और उससे जानना चाहा कि उसे जेल में क्यों बंद किया गया है ?

कैदी विनम्रता पूर्वक बोला, "महाराज, मेरे ऊपर जो भी आरोप लगाए गए थे वे सच हैं। मैंने क्रोध में आकर एक व्यक्ति की जान लेने का प्रयास किया था। उसे बुरी तरह घायल कर दिया था। मुझे जेल की जो सजा दी गई है मैं उसके लायक था।"

राजा बोला, "अच्छा, तो इतने निर्दोष व्यक्तियों में एक तुम्हीं हो जो सचमुच दोषी हो। मैं तुम जैसे अपराधी स्वभाव वाले व्यक्ति को इतने सारे भले लोगों के साथ रखकर उन्हें भ्रष्ट करने की इजाजत नहीं दे सकता ।"

इसके बाद राजा ने जेलर को बुलाया और उस व्यक्ति को तुरंत रिहा करने का आदेश जारी कर दिया। 




Post a Comment

0 Comments