कभी कभी आसमान में दिखाई देने वाली सफ़ेद बादलों जैसी लकीरें असल में क्या होती हैं ?

 बचपन से ही हमें कौतूहल में डालने वाली तमाम चीजों में से एक है कभी कभी आसमान में दिखने वाली बादलों की सफ़ेद लकीरें। कोई उसे रॉकेट का धुआँ बताता था तो कोई कुछ और। परंतु असलियत में ये होती क्या हैं ?


तो आज जान लीजिये ... आसमान में बनने वाली इस सफ़ेद लकीर को Contrails कहते हैं। ये बादल की लकीर जैसे ही दिखाई देते हैं और दरअसल ये बादल ही होते हैं, बस इनके बनने की प्रक्रिया आम बादलों से अलग होती हैं। ये बादल हवाईजहाज या रॉकेट से बनते हैं।

ये Contrails काफी ऊंचाई पर ही बनते हैं। करीब 7500 से 12000 मीटर की ऊंचाई पर। इतनी ऊंचाई पर वातावरण का तापमान और एयर प्रैशर काफी कम होता है। इतनी ऊंचाई पर जब हवाई जहाज या जेट उड़ता है तो उसका धुआँ ये trails बनाता है। इस धुए में  कार्बन डाइ ऑक्साइड, नाइट्रोजन, सल्फर के ऑक्साइड आदि के साथ पानी की भाप भी मिश्रित होती है। इन्हें aerosols कहते हैं।

हवाई जहाज के धुए से Contrails बनने की प्रक्रिया कुछ कुछ वैसी ही होती है जैसी सर्दियों के मौसम में हमारे मुँह से भाप निकालने की होती है।

आमतौर पर Contrails तीन प्रकार के होते हैं। एक होते हैं Short lived contrails, जो जहाज के गुजरने के साथ ही तेजी से खत्म हो जाते हैं।

दूसरे होते हैं Persistent Contrails, जो विमान गुजरने के बाद भी काफी देर तक लंबी लाइन के रूप में आसमान में दिखाई देते रहते हैं। जब हवा में नमी ज्यादा होती है तब ऐसे Contrails बनते हैं।

और तीसरे होते हैं Persistent Spreading Contrails, जो विमान के गुजरने के बाद हवा में फैलने लगते हैं और बादलों जैसे दिखने लगते हैं।

तो अबकी बार जब आसमान में Contrails दिखें, तो हैरान मत होना, समझ जाना कि कोई हवाई जहाज गुजरा है।




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