Dil Shayari
दिल की बोली
दिल की बातों को दिल समझता है
दिल की बोली अजीब बोली है
(इब्न-ए-मुफ़्ती)
दिल है दिल
ये दिल है दिल इसे सीने में हरगिज़
कभी रखना न तुम पत्थर बना के
(फराज़ सुल्तानपुरी)
दिल की लगी
दिल की लगी दिल वाला जाने
क्या समझे समझाने वाला
(जका सिद्दीकी)
मुश्किल तो ये है
मोहब्बत रंग दे जाती है जब दिल दिल से मिलता है
मगर मुश्किल तो ये है दिल बदिल मुश्किल से मिलता है
(जलील मानिकपुरी)
दिल की आरज़ू
होती कहाँ है दिल से जुदा दिल की आरज़ू
जाता कहाँ है शमा को परवाना छोड़ कर
(जलील मानिकपुरी)
दिल लगा लेते हैं
दिल लगा लेते हैं अहल-ए-दिल वतन कोई भी हो
फूल को खिलने से मतलब है चमन कोई भी हो
(बसीर सुल्तान काजमी )
तुम्हारा दिल
तुम्हारा दिल मिरे दिल के बराबर हो नहीं सकता
वो शीशा हो नहीं सकता ये पत्थर हो नहीं सकता
(दाग़ देहलवी)
इश्क़ में
इश्क़ में दिल का ये मंज़र देखा
आग में जैसे समुंदर देखा
(हनीफ़ अख़गर)
जो बेचते थे दवा-ए-दिल
कोई क्यूँ किसी का लुभाए दिल कोई क्या किसी से लगाए दिल
वो जो बेचते थे दवा-ए-दिल वो दुकान अपनी बढ़ा गए
(बहादुर शाह ज़फ़र)
हज़ार आज़माइशें
दिल एक और हज़ार आज़माइशें ग़म की
दिया जला तो था लेकिन हवा की ज़द पर था
(मुशफ़िक़ ख़्वाजा)
उस का हँस देना
दिल का दुख जाना तो दिल का मसअला है पर हमें
उस का हँस देना हमारे हाल पर अच्छा लगा
(अहमद फ़राज़)
धड़कने लगा दिल
धड़कने लगा दिल नज़र झुक गई
कभी उन से जब सामना हो गया
(जिगर मुरादाबादी)
दिल तुम्हारा हो गया
हमने सीने से लगाया दिल न अपना बन सका
मुस्कुरा कर तुम ने देखा दिल तुम्हारा हो गया
(जिगर मुरादाबादी)
दर्द का दिल
आज तो दिल के दर्द पर हंस कर
दर्द का दिल दुखा दिया मैंने
(ज़ुबैर अली ताबिश)
दिल ही न हो
दर्द हो दिल में तो दवा कीजे
और जो दिल ही न हो तो क्या कीजे
(मंज़र लखनवी)
दिल दे तो इस मिजाज का
दिल दे तो इस मिजाज का परवरदिगार दे
जो रंज की घड़ी भी खुशी से गुज़ार दे
(दाग़ देहलवी)
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