( बीसवीं सदी के प्रख्यात लेखक खलील जिब्रान (Kahlil Gibran) की पुस्तक The Madman से तीन लघु कहानियों का भावानुवाद )
1. इंसाफ
एक रात की बात है. शाही महल में दावत हो रही थी. इस मौके पर एक आदमी आया और उसने अपने आपको बादशाह के सामने पेश किया. सारे मेहमान उसकी तरफ देखने लगे. उन्होंने देखा कि उसकी एक आँख बाहर निकल आई है और ज़ख्म से खून बह रहा है.
बादशाह ने पूछा - "तुम्हारे साथ यह दुर्घटना कैसे हुई ?"
आदमी ने जवाब दिया - "मैं एक पेशेवर चोर हूँ और पिछली रात जब कि चाँद भी नहीं निकला था मैं एक साहूकार के घर चोरी करने गया लेकिन भूल से एक जुलाहे के घर में घुस गया. जैसे ही मैं खिड़की से घर के भीतर कूदा, मेरा सिर जुलाहे के करघे से टकरा गया और मेरी आँख फूट गई. ऐ बादशाह ! मैं जुलाहे के इस मामले में अपने लिए इन्साफ चाहता हूँ."
बादशाह ने जुलाहे को तलब किया और फैसला दिया कि जुलाहे की एक आँख निकाल ली जाए.
जुलाहा बोला - "ऐ बादशाह ! आपका यह न्याय उचित नहीं है कि मेरी आँख निकलवा ली जाए. मेरे काम में मुझे दोनों आँखों की जरूरत होती है ताकि मैं दोनों तरफ से उस कपड़े को देख सकूँ जिसे मैं बुनता हूँ. मेरे पड़ोस में एक मोची रहता है, उसके दो आँखें हैं लेकिन उसे अपने काम के लिए दो आँखों की जरूरत नहीं."
जुलाहे की बात सुनकर बादशाह ने मोची को तलब किया और उसकी दो आँखों में से एक आँख निकाल ली गई.
इस तरह उनकी दृष्टि में इन्साफ का तकाज़ा पूरा हो गया.
2. लोमड़ी
एक लोमड़ी ने सुबह के वक़्त अपनी छाया पर दृष्टि डाली और कहने लगी - "मुझे आज नाश्ते के लिए कम से कम एक ऊँट मिलना चाहिए."
इसके बाद उसने सुबह का सारा वक़्त ऊँट की तलाश में घूमते हुए व्यतीत कर दिया, लेकिन जब दूसरी बार दोपहर को उसने अपनी छाया देखी तो बोली - "मेरे लिए तो एक चूहा भी काफी होगा !"
3. बुद्धिमान बादशाह
एक बार की बात है, एक शहर था जिस पर एक बादशाह हुकूमत करता था. बादशाह बहुत बुद्धिमान था जिसकी वजह से शहर लोग उससे प्रेम करते थे.
उस शहर के बीचोंबीच एक कुआं था जिसका पानी बहुत शीतल और मोती की तरह निर्मल था. शहर के तमाम निवासी, यहाँ तक कि बादशाह और उसके मंत्रीगण भी उसी कुएं का पानी पीते थे क्योंकि शहर उसके अलावा कोई दूसरा कुआं ही न था.
एक रात को, जब शहर के सब लोग सोये हुए थे, एक चुड़ैल शहर में घुस आई और उसने एक अद्भुत औषधि की सात बूँदें कुएं के पानी में डाल दी. फिर बोली - "इसके बाद जो भी मनुष्य इस कुएं का पानी पिएगा, पागल हो जाएगा."
दूसरे दिन बादशाह और मंत्रियों को छोड़कर, शहर के शेष सभी निवासियों ने कुएं का पानी पिया और चुड़ैल की भविष्यवाणी के अनुसार, सभी पागल हो गए.
उस दिन शहर के तमाम गली-कूचों और बाज़ारों में लोग एक दूसरे के कान में यही कहते रहे कि हमारे बादशाह और मंत्रियों की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है. अब हम इस अपाहिज बादशाह को सहन नहीं कर सकते और इसे तख़्त से उतार देंगे.
जब शाम हुई तो बादशाह ने सोने के बर्तन में इस कुएं से पानी मंगवाया. जब पानी आया तो उसने स्वयं भी पिया और मंत्रियों को भी पिलाया.
फिर क्या था, अगले ही दिन शहर में ख़ुशी के बाजे बजने लगे, क्योंकि लोगों ने देखा कि उनके बादशाह और मंत्रियों की बुद्धि ठिकाने आ गई है.
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