जौन एलिया की शायरी | Jaun Elia Shayari in Hindi

 जौन एलिया की शायरी (Jaun Elia Shayari in Hindi)

जौन एलिया (Jaun Eliya) का नाम बीसवीं सदी के प्रमुख शायरों में गिना जाता है। उनका जन्म 1931 में अमरोहा (उत्तरप्रदेश) में हुआ था और मृत्यु सन 2002 में कराची (पाकिस्तान) में हुई। उनका पूरा नाम सैयद जौन असगर था लेकिन वे जौन एलिया (Jaun Eliya) के नाम से प्रसिद्ध थे। 

प्रस्तुत हैं जौन एलिया के कुछ प्रसिद्ध शेर - 

जो गुज़ारी न जा सकी हमसे 
हमने वो ज़िन्दगी गुज़ारी है 

मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस 
खुद को तबाह कर लिया और मलाल  भी नहीं 

ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता
एक ही शख्स था जहान में क्या 

ज़िंदगी किस तरह बसर होगी
दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में 

बहुत नजदीक आती जा रही हो
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या 

कौन इस घर की देखभाल करे
रोज़ इक चीज़ टूट जाती है 

इलाज ये है कि मज़बूर कर दिया जाऊँ
वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैंने 

उस गली ने ये सुन के सब्र किया
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं 

सारी दुनिया के ग़म हमारे हैं
और सितम ये कि हम तुम्हारे हैं 

और तो क्या था बेचने के लिए
अपनी आँखों के ख्वाब बेचे हैं 

मुझे अब तुम से डर लगने लगा है
तुम्हें मुझ से मोहब्बत हो गई क्या 

ज़िंदगी एक फन है लम्हों को
अपने अंदाज़ से गँवाने का 

दिल की तकलीफ कम नहीं करते
अब कोई शिकवा हम नहीं करते 

अब नहीं कोई बात ख़तरे की
अब सभी को सभी से खतरा है 

अपना रिश्ता ज़मीं से ही रक्खो
कुछ नहीं आसमान में रक्खा 

काम की बात मैंने की ही नहीं
ये मिरा तौर-ए-ज़िंदगी ही नहीं 

इक अजब हाल कि अब उसको
याद करना भी बेवफाई है 

शब जो हमसे हुआ मुआफ़ करो
नहीं पी थी बहक गए होंगे 

मैं जो हूँ 'जौन एलिया' हूँ जनाब
इस का बेहद लिहाज़ कीजिएगा 

अपने सर इक बला तो लेनी थी
मैं ने वो ज़ुल्फ़ अपने सर ली है 

जानिए उससे निभेगी किस तरह
वो खुदा है मैं तो बंदा भी नहीं 

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