क्या भला क्या बुरा - चीनी लोक कथा | Kya Bhala Kya Bura - A Chinese folk tale in Hindi

बहुत पुरानी बात है, चीन के एक गाँव में एक बूढ़ा रहता था. वह दार्शनिक स्वभाव का आदमी था और उसकी बातें अक्सर उसके गांववालों को समझ में नहीं आती थीं. 

उस बूढ़े के पास एक घोड़ा था. एक दिन उसने घोड़े को चरने के लिए छोड़ा तो वह जंगल में कहीं चला गया. घोड़ा वापस नहीं आया तो गाँव के लोग बूढ़े को ढाढ़स देने आये. 

सबकी बातें सुनकर बूढ़े ने कहा - "हो सकता है घोड़े के चले जाने में मेरी कोई भलाई छुपी हो !" गांववाले बूढ़े की बुद्धि पर तरस खाते हुए चले गए. किन्तु कुछ दिन बाद जैसे उसने कहा था वैसा ही हुआ. उसका घोड़ा वापस आ गया और उसके साथ जंगल से एक और घोड़ा चला आया. 

बूढ़े का घोड़ा वापस आ गया है और अपने साथ एक और घोड़ा लाया है, जब यह खबर गाँव के लोगों ने सुनी तो वे बूढ़े को बधाई देने आये. 

बूढ़ा गाँव के लोगों से बोला - "जिसमें आप लोगों का मेरा लाभ दिखाई दे रहा है, हो सकता है उसमें मेरा कोई नुकसान छुपा हो !" 

गांववालों को फिर बूढ़े की अक्ल पर तरस आया और वे अपने - अपने घरों को चले गए. किन्तु कुछ दिनों बाद बूढ़े की आशंका सच साबित हो गई. नए घोड़े पर सवारी करते समय उसका बेटा गिर गया और उसकी टांग टूट गई. 

गाँव वालों ने जब बूढ़े के बेटे की टांग टूटने की खबर सुनी तो वे संवेदना प्रकट करने आये. किन्तु बूढ़ा चहक कर बोला - "हो सकता है इसमें भी कोई भलाई छिपी हो !"

गाँव वाले अपना माथा पीटते हुए चले गए. कुछ ही रोज बाद हूणों से युद्ध आरम्भ हुआ. गाँव के सारे युवा, जिनके हाथ पैर ठीक थे, सब जबरदस्ती सेना में भर्ती कर लिए गए. युद्ध के दौरान उनमें से अधिकाँश मारे गए. बूढ़े का बेटा बच गया क्योंकि टांग टूटी होने के कारण उसे सेना में भर्ती नहीं किया गया था. 




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