विजेता - एक लोक कथा | Vijeta - A Folk tale in Hindi

पुराने ज़माने में एक राजा था. उसकी एक बेटी थी. बड़ी ही सुन्दर. उन दिनों में जितने भी राजकुमार थे, वे लगभग सब के सब उसे अपनी रानी बनाने की चाह रखते थे. लेकिन वह जितनी सुन्दर थी उतना ही उसे अपनी सुन्दरता का अभिमान भी था.  वह किसी भी ऐरे गैरे से विवाह नहीं करना चाहती थी. वह चाहती थी कि जिससे उसका विवाह हो वह संसार में सर्वश्रेष्ठ हो. उसे कोई हरा न सके. 

राजा के लिए बेटी की यह चाहत बड़ी विषम समस्या थी क्योंकि इसके कारण वह उसका विवाह नहीं कर पा रहा था. वह अपनी बेटी से प्यार भी बहुत करता था और जबरन उसकी शादी किसी से नहीं करना चाहता था. 

बहुत से राजकुमारों के प्रस्ताव राजकुमारी के सामने लाये गए किन्तु उनमें से उसने एक को भी पसंद न किया. राजा और उसके मंत्री बहुत परेशान, कि आखिर राजकुमारी का विवाह कैसे हो ? तब एक दिन राजा राजकुमारी के पास गया और बोला, "बेटी, इस तरह तो तुम अविवाहित ही रह जाओगी जो मैं बिलकुल नहीं चाहता. तुम्हें अपना पति चुनने के लिए कुछ तो पैमाना तय करना पड़ेगा."

उस राजा के राज्य से लगे हुए समंदर में नजदीक ही एक छोटा सा द्वीप था, जिसका राजा था महाबल. महाबल का द्वीप भले ही छोटा सा था किन्तु एक तो उसका राज्य चारों ओर से समुद्र से घिरा हुआ था और दूसरे वह स्वयं भी बड़ा पराक्रमी था इसलिए उसका द्वीप उन दिनों अजेय माना जाता था. सामुद्रिक युद्ध में उसकी छोटी सी सेना अत्यंत कुशल थी. 

महाबल की विशेषता थी कि जो भी उसके द्वीप पर आक्रमण करने आता था उसे वह पराजित तो करता ही था, साथ ही पराजय की निशानी के रूप में उसके हाथ की कनिष्ठा उंगली काट लेता था. 

राजकुमारी को यह बात पता थी इसलिए उसने राजा से कहा कि उसका पति वही बन सकता है जो महाबल को पराजित कर देगा. 

राजा ने जब यह सुना तो वह थोडा चिंतित तो हुआ, क्योंकि वह जानता था कि महाबल को पराजित करना बहुत मुश्किल है, किन्तु फिर भी उसने सारी दुनिया में ढिंढोरा पिटवा दिया कि राजकुमारी उसी से विवाह करेगी जो महाबल को पराजित करेगा. 

अब तो सारी दुनिया से राजकुमारी से विवाह के इच्छुक बहुत से राजकुमार महाबल के ऊपर चढ़ाई करने के लिए आने लगे. तय हुआ कि सभी राजकुमार एक एक करके महाबल पर चढ़ाई करने जाएँ. 

पहला राजकुमार अपनी सेना को लेकर गया और अगले ही दिन महाबल से हारकर अपनी ऊँगली कटवा कर वापस आ गया. फिर दूसरा राजकुमार अपनी सेना को लेकर रवाना हुआ और वह भी दो ही दिन में कटी ऊँगली लेकर वापस आ गया. 

इसी तरह एक एक करके सारे राजकुमार गए और महाबल से पराजित होकर अपनी कनिष्ठा उंगली कटवा कर वापस आ गए. 

अब तो राजा बड़ा चिंतित हुआ कि आखिर उसकी बेटी का विवाह हो तो कैसे हो ? यहाँ तक कि खुद राजकुमारी भी भी सोचने लगी कि उसने जो शर्त रख दी है उसे पूरी करने वाला शायद कोई नहीं है और अब उसे अविवाहित ही रहना पड़ेगा. 

किन्तु होनी को कुछ और ही मंजूर था. एक दिन राजा अपने दरबार में बैठा हुआ था. वहाँ पर मंत्री और राजकुमारी भी मौजूद थे. उसी समय एक किसान का बेटा  दरबार में आया और बोला, "महाराज, मैं राजकुमार तो नहीं हूँ किन्तु महाबल को जीतने की हिम्मत रखता हूँ. यदि आपको मुझसे अपनी राजकुमारी का विवाह करने में कोई परेशानी न हो तो मैं आपकी चुनौती स्वीकार करना चाहता हूँ."

राजा ने मंत्री की ओर देखा, फिर राजकुमारी की ओर देखा, और दोनों ओर से आँखों ही आँखों में स्वीकारोक्ति मिलने पर बोला - "जो कोई भी महाबल को हराएगा वह राजकुमारी से विवाह का पात्र होगा फिर चाहे वह राजकुमार हो या न हो."

अब तक यह बात जगजाहिर हो चुकी थी कि महाबल जिसको भी हरा देता है उसकी दाहिने हाथ की कनिष्ठा उंगली काटकर छोड़ देता है. अब तक जितने भी राजकुमार उससे भिड़ने गए थे वे अपने दाहिने हाथ में केवल चार उंगलियाँ ही लेकर लौटे थे. अर्थात यदि महाबल के द्वीप पर आक्रमण के उद्देश्य से गया कोई व्यक्ति बिना उंगली कटाए लौट आता है तो इसका मतलब यह माना जा सकता था कि उसने महाबल को हरा दिया है. 

किसान का बेटा भी यह सब जानता था. उसके पास तो कोई सेना नहीं थी. उसने बस एक नाव ली और महाबल के द्वीप की ओर चल पड़ा. हथियार के नाम पर उसके पास अगर कुछ था तो वह था बस फसल काटने के काम आने वाला एक हंसिया. पीछे-पीछे राजा ने अपनी एक नाव भी सादा वेष में कुछ सैनिकों के साथ भेजी ताकि यह तस्दीक हो सके कि वह महाबल के द्वीप पर गया या नहीं ? 

किसान का बेटा जब द्वीप पर उतरा तो उसने महाबल के पास खबर भेजी कि वह उससे लड़ने आया है. महाबल ने जब सुना कि एक अकेला लड़का उससे लड़ने आया है तो उसके क्रोध का पारावार नहीं रहा. वह बोला कि अब तक मैं इन मूर्खों को केवल उंगली काटकर भेजता रहा इसलिए इनके हौसले बढ़ गए हैं. आज तो सीधी गर्दन काटकर ही वापस भेजूँगा. 

जैसे ही महाबल उसके पास आया, किसान का बेटा उसके पैरों में गिर पड़ा और बोला, "महाराज, मेरी क्या बिसात जो आपसे लडूँ ? मैं तो बस आपके दर्शन करना चाहता था इसलिए चला आया. फिर भी यदि आपको विश्वास नहीं है तो मैं अपनी पराजय स्वयं ही स्वीकार करता हूँ. मैं अपने हाथ से अपनी उंगली आपके सामने काट लेता हूँ."

और इतना कहकर किसान के बेटे ने अपने ही हाथ से, अपने साथ लाये हंसिये से, अपने दाहिने हाथ की छोटी उंगली काट डाली. यह देखकर महाबल का क्रोध शांत हो गया और उसने किसान के बेटे को न सिर्फ माफ़ कर दिया बल्कि यह जानकर कि वह कोई राजकुमार नहीं बल्कि एक किसान का बेटा है, तीन चार दिन अपने राज्य का मेहमान भी बनाकर रखा. 

कुछ दिन बाद, राजा के सिपाहियों और नगर के लोगों ने देखा कि किसान का बेटा विजयी भाव से अपनी नाव में बैठा तट की ओर चला आ रहा है. आते ही अपने दोनों हाथों की उंगलियाँ दिखाते हुए उसने उल्लास के साथ कहा, "मैंने महाबल को हरा दिया, ये देखो मेरी दसों उंगलियाँ सही-सलामत हैं."

लोगों ने आश्चर्य से देखा, सचमुच उसके हाथ में दसों उंगलियाँ थीं. और वह सीधा उसी द्वीप की ओर से चला आ रहा था. इसका सीधा अर्थ यही था कि वह महाबल को पराजित करके आया था. फिर क्या था, वायदे के मुताबिक़ राजा ने राजकुमारी का विवाह उसके साथ कर दिया. 

फिर यह बात विवाह के बाद ही राजकुमारी को पता चल पाई कि किसान के बेटे के दाहिने हाथ में जन्म से ही छः उंगलियाँ थीं. 




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